Saturday, October 2, 2010

आरटीआइ से मिली छात्रवृति

रांची विवि ने गरीब विद्यार्थियों को छला विष्णु राजगढ़िया रांची: बीपीएल श्रेणी के सैकड़ों छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा की सुविधा और छात्रवृति की राशि से वंचित होना पड़ा है। रांची विश्वविद्यालय में नौकरशाही कार्यशैली का खामियाजा गरीब विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इससे लोककल्याणकारी राज्य की भी कलई खुल गयी है। रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने 30 अगस्त 2007 को आदेश संख्या 735/07 के माध्यम से गरीब विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण घोषणा की थी। तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी की पहल पर यह घोषणा हुई थी। इसमें प्रावधान था कि रांची विश्वविद्यालय के प्रत्येक स्नातकोत्तर विभाग में बीपीएल श्रेणी के दो-दो विद्यार्थियों का निशुल्क नामांकन होगा। उन्हें हर तरह का शुल्क माफ करने के साथ ही प्रतिमाह 500 रुपये छात्रवृति का भी प्रावधान रखा गया। इसे वर्ष 2007 से प्रत्येक सत्र में लागू करने की अधिसूचना निकाली गयी। लेकिन किसी भी विभाग ने इसे लागू करने की जरूरत नहीं समझी। इस दौरान जिन छात्र-छात्राआंे ने अपना यह अधिकार हासिल करने का प्रयास किया, उन्हें उपेक्षा और अपमान का शिकार होना पड़ा। राजनीति विज्ञान की छात्रा पुष्पा कुमारी भी उनमें एक थी। इस बीच पुष्पा के भाई मुकेश कुमार गुप्ता ने झारखंड सरकार के श्रीकृष्ण लोक प्रशिक्षण संस्थान में सूचना कानून का प्रशिक्षण हासिल किया। भाई की मदद से पुष्पा कुमारी ने रांची विश्वविद्यालय से सूचना मांगी कि प्रत्येक सत्र में प्रत्येक विभाग ने किन छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा और छात्रवृति प्रदान की। इस आवेदन के दबाव में रांची विश्वविद्यालय ने पुष्पा कुमारी को छात्रवृति की राशि प्रदान कर दी। उसके बैच के एक अन्य विद्यार्थी को भी यह राशि मिल गयी। रांची विश्वविद्यालय के 23 विभागों से मिली सूचना के अनुसार किसी भी विभाग ने उक्त आदेश का पालन नहीं किया था। जाहिर है कि सूचना कानून के कारण ही पुष्पा को छात्रवृति की राशि मिल सकी है। अब पुष्पा और मुकेश ने इस प्रावधान की जानकारी अधिक से अधिक गरीब विद्यार्थियों तक पहुंचाकर उन्हें इसका समुचित लाभ दिलाने का बीड़ा उठाया है। झारखंड आरटीआइ फोरम ने 12 अक्तूबर को सूचना कानून की पांचवीं वर्षगांठ पर पुष्पा कुमारी को आरटीआइ सिटिजन अवार्ड देने की घोषणा की है।

No comments: