Sunday, September 13, 2009

बिजली संकट पर पीएमओ चिंतित, ऊर्जा मंत्रालय को इसका पता नहीं सूचना के अधिकार से हुआ खुलासा एनडीए शासन में ऊर्जा क्षेत्र सुधरा, यूपीए का कार्यकाल यानी 'अवसर गंवाने का आधा दशक' विष्णु राजगढ़िया रांची : देश में गहराते विद्युत संकट और ऊर्जा मंत्रालय के घटिया प्रदर्शन से प्रधानमंत्री कार्यालय चिंतित है। इसके लिए पिछले दिनों प्रधानमंत्री के साथ ऊर्जामंत्री की एक उच्चस्तरीय बैठक का भी प्रस्ताव रखा गया था। इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी आंतरिक पत्र में ऊर्जा मंत्रालय को संवदेनशील बनाने की जरूरत बतायी गयी है। दूसरी ओर, ऊर्जा मंत्रालय ने इस पर अनभिज्ञता प्रकट करके नये विवादों को जन्म दिया है। पटियाला निवासी गुरनेक सिंह बरार ने सूचना का अधिकार के अंतर्गत उस आंतरिक पत्र की प्रतिलिपि मांगी थी। श्री बरार ने प्रधानमंत्री कार्यालय तथा ऊर्जा मंत्रालय, दोनों से सूचना मांगी। ऊर्जा मंत्रालय ने 28 जुलाई 2009 को ऐसे किसी आंतरिक पत्र के संबंध में अनभिज्ञता प्रकट की। लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने आठ सितंबर को उस पत्र की प्रतिलिपि उपलब्ध करा दी है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने 30 जून 2009 को अपने आंतरिक पत्र में गंभीर ऊर्जा संकट को लेकर यूपीए सरकार की विफलता का खुलकर वर्णन किया है। पत्र के अनुसार वर्ष 2004-05 में प्रारंभिक सकारात्मक प्रगति के बाद ऊर्जा मंत्रालय सुधार की दिशा में आगे नहीं बढ़ पाया। जबकि 1998 से 2003 के बीच ऊर्जा मंत्रालय ने सुधार की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। पत्र के अनुसार बाद के पांच वर्षों को सिर्फ 'अवसर गंवाने का आधा दशक ही कहा जायेगा। पीएमओ के इस पत्र के अनुसार दसवीं पंचवर्षीय योजना में 44000 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य था, जिसका आधा भी हासिल नहीं किया जा सका। इसके बावजूद ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 78000 मेगावाट का अत्यधिक बड़ा एवं बेतुका लक्ष्य ले लिया गया। जून 2009 तक मात्र 15000 मेगावाट क्षमता बढ़ायी जा सकी है। स्पष्ट है कि ग्यारहवीं योजना के अंत तक लक्ष्य का बड़ा हिस्सा परा नहीं हो सकेगा। इसका पूरा दायित्व यूपीए सरकार पर आयेगा। पत्र के अनुसार ऊर्जा मंत्रालय ने घटिया प्रदर्शन किया है तथा ऊर्जा उत्पादन में कमी ने जीडीपी विकास दर को भी प्रभावित किया है। इसका संकेत दिल्ली में गंभीर बिजली संकट में देखा जा सकता है। पत्र के अनुसार राज्यों में भी बिजली की गंभीर समस्या है। पत्र में इस गंभीर मामले पर ऊर्जा मंत्रालय को संवेदनशील बनाने के लिए प्रधानमंत्री और ऊर्जा मंत्री की उच्चस्तरीय बैठक कराने तथा इस संबंध में ऊर्जा सचिव से बात करने की भी बात कही गयी है। सूचना का अधिकार के द्वारा इस पत्र को हासिल करने वाले गुरनेक सिंह बरार के अनुसार ऊर्जा मंत्रालय ने अपनी असफलता को छुपाने के लिए इस संबंध में सूचना देने से इंकार कर दिया है जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना उपलब्ध करा दी है। श्री बरार इसके खिलाफ अपील करेंगे।

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