Friday, October 15, 2010
RTI Forum felicitates 11 for their vigilance
The RTI enabling every Indian citizen to seek information from a public authority, to be given within 30 days — completed five years on Tuesday. People have used the Act to question, probe, demand transparency and voice dissent. Meet 11 citizen vigilantes of the state, who were felicitated by Jharkhand RTI Forum on Tuesday in the capital for ushering in winds of change. READ
Thursday, October 14, 2010
अधिकारियों के लिए भी मददगार आरटीआइ
पहले कुछ अधिकारियों में धारणा थी कि आरटीआइ से उन्हें परेशानी है। लेकिन अब अधिकारी भी अपने हित में इसका उपयोग कर रहे हैं। पलामू की उपायुक्त श्रीमती पूजा सिंहल को एक आरोप की सच्चाई सामने लाने के लिए आरटीआइ की मदद मिली। झारखंड के ही एक आइएएस को सीबीआइ व आयकर की कार्रवाई से राहत में आरटीआइ का उपयोग हुआ। इस कानून ने देश को एक सकारात्मक दिशा दी है। READ
Wednesday, October 13, 2010
पारदर्शी उम्मीदों के पांच साल
सूचना का अधिकार ने शासन और प्रशासन के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही का नया माहौल विकसित करते हुए आम नागरिक के हाथ मे जबरदस्त ताकत दी है। अब अधिकारियों को मनमाने फैसले करने से पहले बार-बार सोचना पड़ता है कि आरटीआई में क्या जवाब देगा। इंटरनेशनल सेंटर गोवा की निदेशक नंदिनी सहाय का स्पष्ट मानना है कि पांच वर्षों में सूचना कानून ने अपनी प्रासंगिकता जबरदस्त तरीके से स्थापित की है। READ
Saturday, October 9, 2010
बिकाऊ है भारत सरकार, बोलो खरीदोगे ?
अरविन्द केजरीवाल
90 के दशक के अंत में आयकर विभाग ने कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सर्वे किया। सर्वे में ये कंपनियां रंगे हाथों टैक्स की चोरी करते पायी गयीं, उन्होंने सीधे अपना जुर्म कबूल किया और बिना कोई अपील किये सारा टैक्स जमा कर दिया। अगर ये लोग किसी और देश में होते तो अभी तक उनके वरिष्ठ अधिकारियों को जेल भेज दिया गया होता। एक कम्पनी पर सर्वे के दौरान उस कम्पनी के विदेशी मुखिया ने आयकर टीम को धमकी दी - ‘‘आपको पता नहीं हम कितने ताकतवर हैं। हम आपकी संसद से कोई भी कानून पारित करा सकते हैं। आप लोगों का तबादला भी करा सकते हैं।’’ कुछ दिन बाद ही इस आयकर टीम के एक हेड का तबादला कर दिया गया। READ
Saturday, October 2, 2010
आरटीआइ से मिली छात्रवृति
रांची विवि ने गरीब विद्यार्थियों को छला
विष्णु राजगढ़िया
रांची: बीपीएल श्रेणी के सैकड़ों छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा की सुविधा और छात्रवृति की राशि से वंचित होना पड़ा है। रांची विश्वविद्यालय में नौकरशाही कार्यशैली का खामियाजा गरीब विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। इससे लोककल्याणकारी राज्य की भी कलई खुल गयी है।
रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने 30 अगस्त 2007 को आदेश संख्या 735/07 के माध्यम से गरीब विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण घोषणा की थी। तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी की पहल पर यह घोषणा हुई थी। इसमें प्रावधान था कि रांची विश्वविद्यालय के प्रत्येक स्नातकोत्तर विभाग में बीपीएल श्रेणी के दो-दो विद्यार्थियों का निशुल्क नामांकन होगा। उन्हें हर तरह का शुल्क माफ करने के साथ ही प्रतिमाह 500 रुपये छात्रवृति का भी प्रावधान रखा गया। इसे वर्ष 2007 से प्रत्येक सत्र में लागू करने की अधिसूचना निकाली गयी। लेकिन किसी भी विभाग ने इसे लागू करने की जरूरत नहीं समझी।
इस दौरान जिन छात्र-छात्राआंे ने अपना यह अधिकार हासिल करने का प्रयास किया, उन्हें उपेक्षा और अपमान का शिकार होना पड़ा। राजनीति विज्ञान की छात्रा पुष्पा कुमारी भी उनमें एक थी। इस बीच पुष्पा के भाई मुकेश कुमार गुप्ता ने झारखंड सरकार के श्रीकृष्ण लोक प्रशिक्षण संस्थान में सूचना कानून का प्रशिक्षण हासिल किया। भाई की मदद से पुष्पा कुमारी ने रांची विश्वविद्यालय से सूचना मांगी कि प्रत्येक सत्र में प्रत्येक विभाग ने किन छात्र-छात्राओं को निशुल्क शिक्षा और छात्रवृति प्रदान की। इस आवेदन के दबाव में रांची विश्वविद्यालय ने पुष्पा कुमारी को छात्रवृति की राशि प्रदान कर दी। उसके बैच के एक अन्य विद्यार्थी को भी यह राशि मिल गयी। रांची विश्वविद्यालय के 23 विभागों से मिली सूचना के अनुसार किसी भी विभाग ने उक्त आदेश का पालन नहीं किया था। जाहिर है कि सूचना कानून के कारण ही पुष्पा को छात्रवृति की राशि मिल सकी है। अब पुष्पा और मुकेश ने इस प्रावधान की जानकारी अधिक से अधिक गरीब विद्यार्थियों तक पहुंचाकर उन्हें इसका समुचित लाभ दिलाने का बीड़ा उठाया है। झारखंड आरटीआइ फोरम ने 12 अक्तूबर को सूचना कानून की पांचवीं वर्षगांठ पर पुष्पा कुमारी को आरटीआइ सिटिजन अवार्ड देने की घोषणा की है।
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